उत्तर प्रदेश पुलिस की संवेदनहीनता का मामला: किशोरी के साथ दुष्कर्म के मामले में देरी से कार्रवाई

में अनुसूचित जाति की किशोरी के अपहरण व दुष्कर्म के मामले में उचित कार्रवाई करने के बजाय पुलिसकर्मियों ने संवेदनहीनता की हदें पार कर दीं। पीड़िता के मामा के अनुसार शिकायत करने गई किशोरी को 25 अगस्त को 10 घंटे तक पुलिस ने त्रिलोकपुर चौकी में बैठाए रखा । तथा वहीं आरोपी व उसके छह साथी कुर्सी पर बैठकर अश्लील बातें करते रहे।
पुलिस की शह पर आरोपी ने सुलह के लिए पीड़िता के मामा को ऑनलाइन 50 हजार रुपये भी भेज दिए। इसके बाद 30 व 31 अगस्त को पीड़िता को मसौली थाने में भी जबरन रोके रखा गया।
जब पीड़िता का केस थाने में दर्ज नहीं किया गया तो इसकी शिकायत पीड़िता के मामा ने जनसुनवाई पोर्टल के जरिये सीएम योगी से की।
जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत करने के बाद
रविवार को दोपहर में एसपी दिनेश कुमार सिंह ने मसौली के एसएचओ अरुण प्रताप सिंह को लाइन हाजिर कर चौकी इंचार्ज मनोज कुमार को सस्पेंड कर दिया। 30 अगस्त को अंकित वर्मा को दुष्कर्म का केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया । एससी- एसटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई है। एएसपी को जांच सौंपी गई है। मसौली क्षेत्र के एक गांव निवासी किशोरी के मामा ने एसपी से शिकायत में बताया कि सितंबर 2018 में उनके बहनोई की हत्या के दूसरे दिन बहन ने आत्महत्या कर ली थी। 16 साल की भांजी की देखरेख वही करते हैं ।
22 अगस्त को भांजी खेत जा रही थी तभी गांव के अंकित वर्मा ने उसे कार में खींच लिया और होटल में बंधक बनाकर दुष्कर्म किया।
23 अगस्त को किशोरी की हालत खराब होने पर इलाज के बहाने लखनऊ, कानपुर व गाजियाबाद ले गया। 25 अगस्त को अंकित किशोरी को गांव के बाहर छोड़कर भाग गया। इसी दिन पीड़िता मामा के साथ चौकी पहुंची। यहां आरोपी को भी बुलाया गया। मामा ने 27 अगस्त को एसपी से शिकायत की। लेकिन फिर भी एफआईआर नही लिखा गया । जब जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत की गई तब जाकर आठ दिन बाद दर्ज हुआ केस और कार्यवाही शुरू की गई ।

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