वैश्विक स्तरपर , हर देश में एक निजी व्यक्ति से लेकर पूरे देश में यदि तरक्की हो रही है तो, स्वाभाविक रूप से निजी स्तरपर प्रतिद्वंदी व राष्ट्रीय स्तरपर अन्य देशों को ईर्ष्या का होना लाजमी है। दूसरी ओर यदि वैश्विक बादशाह की इच्छा पूरी न करने की गुस्ताखी भी की जाए , तो सत्ता का पासा कैसे पलट जाता है, यह हम पड़ोसी देश पाकिस्तान बांग्लादेश श्रीलंका नेपाल में देख चुके हैं, जिसका सटीक उदाहरण आज बांग्लादेश की पूर्व प्रधान हसीना शेख का अमेरिका के लिए जो बयान आया है , उसको संज्ञान में हम ले सकते हैं।
आज इस विषय पर बात हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि दिनांक 11 अगस्त 2024 को देर शाम अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने , 10 अगस्त को एक नई रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें सेबी प्रमुख व उसके पति ने मारिशिस की ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके माध्यम से भारत के एक बहुत बड़े ग्रुप की कंपनी में निवेश करवा कर उस ग्रुप को लाभ पहुंचाया गया, और लाभ पहुंचाने का यह तरीका, गलत तरीका माना जाता है। यह भी आरोप लगाया कि जनवरी 2023 में जो उन्होंने उस ग्रुप पर खुलासा किया था, उसपर सेबी ने कार्रवाई नहीं की इसलिए सेबी और वह ग्रुप दोनों के हित जुड़े हुए हैं। हालांकि सेबी और उस ग्रुप में अपने स्तर पर जवाब दे दिया है, व रिपोर्ट को खारिज कर दिया है , लेकिन विपक्ष ने मुद्दे को जोरदार रूप से लपक लिया है , और आरोप लगाया है कि, पक्ष को इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी थी , इसलिए ही उन्होंने संसद को समय से 3 दिन पूर्व ही समाप्त करवा दिया, ताकि संसद में इस रिपोर्ट के बारे में चर्चा ना हो पाए । तो, वहीं विपक्षी नेता ने एक वीडियो क्लिप में बयान दिया है कि, अगर क्रिकेट का अंपायर ही फिक्स्ड या संदेह के घेरे में आ जाए या एक तरफा हो जाये तो , क्रिकेट का उत्साह समाप्त हो जाए जाता है । इसी तरह उन्होंने इशारा सेबी पर उठाया तो पक्ष ने उसके जवाब में कहा कि मुंबई स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स भारी मात्रा में विशाल स्तर पर उफान पर उछल रहा है। इस बीच ऐसी खबरों से नागरिक तथा विनियोगकर्ता , मायूस ज़रूर हो सकते हैं, क्योंकि हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट ने सियासी गलियारों में भूचाल मचा दी है , और आरोप प्रत्यारोप जारी हैं।
इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से, इस वीडीओ के माध्यम से चर्चा करेंगे, कि अंतरराष्ट्रीय स्तरकी संस्थाओं आईएमएफ व विश्व बैंक द्वारा भारत की आर्थिक तारीफ के बीच कहीं देश के आर्थिक विकास को बाधित करने की कोई कोशिश या साजिश तो नहीं की जा रही है ?
साथियों बात अगर हम 10 अगस्त को आई हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट व 11 अगस्त को जोरदार सियासी हंगामा होने की करें तो, हिंडनबर्ग विवाद एक बार फिर सियासी भूचाल लेकर आया है। सेबी द्वारा जून में भेजे गए नोटिस के जवाब में , अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी चीफ पर एक ग्रुप मामले में कार्रवाई न करने को लेकर निशाना साधा है । इसको लेकर आज कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष ने सेबी प्रमुख पर ही सवाल उठा दिए , और यह तक पूछ लिया कि , आखिर अभी तक सेबी प्रमुख अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया है?
लोकसभा में एलओपी ने एक तरफ जहां हिंडनबर्ग मामले में सेबी पर सवाल उठाए, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने यह तक कहा कि जो सेबी रीटेल इनवेस्टर्स की संपत्ति का जिम्मा संभालती है, उसी की प्रमुख के खिलाफ उठे सवालों ने संस्था की ईमानदारी को गहरी चोट पहुंचाई है। इस बार हिंदडनबर्ग निशाना सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की प्रमुख और उनके पति हैं। हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त को एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया है कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके माध्यम से भारतमें एक ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर उस ग्रुप ने लाभ उठाया था। इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है। हिंडनबर्ग का आरोप है कि उसने जनवरी 2023 में उस ग्रुप पर जो खुलासा किया था, उस पर सेबी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। उसका आरोप है कि यह जांच केवल इसलिए नहीं की गई , क्योंकि सेबी प्रमुख और अडानी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे , जिसका अंदेशा भी था।
साथियों बात अगर हम रिपोर्ट पर विपक्षी पार्टी के शाब्दिक हमले की करें तो, यह रिपोर्ट सामने आते ही भारत में राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। कांग्रेस नेता ने एक लिखित बयान जारी कर आरोप लगाया है कि 2018 में सेबी ने अंतिम लाभकारी व्यक्ति की जानकारी देने संबंधित नियमों को , कमजोर कर दिया था, जिसके कारण इस तरह के घोटाले को अंजाम देना संभव हो सका। पार्टी के अनुसार, उस ग्रुप से जुड़ा विवाद सामने आने के बाद लोगों की भारी रकम शेयर बाजार में डूब गई।