तिरुपति बालाजी प्रसाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। इस बीच, शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि प्रसाद तब होता है जब भगवान को चढ़ाया जाता है, और उससे पहले जो मिठाई तैयार की जाती है, वह सिर्फ एक सामग्री होती है। ऐसे में भगवान और भक्त का हवाला न दिया जाए, और भगवान को इस विवाद से दूर रखा जाए। यह मामला न केवल धार्मिक विश्वासों से संबंधित है, बल्कि श्रद्धालुओं के बीच विश्वास को बनाए रखने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोर्ट की टिप्पणियाँ इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत हैं कि किसी भी प्रकार की अनियमितता को सख्ती से निपटा जाएगा।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, 18 सितंबर को प्रेस के सामने बयान देने का औचित्य क्या था? इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं था कि लड्डू बनाने में वास्तव में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था। पांच आपूर्तिकर्ता थे। जिनमें से केवल एक आपूर्तिकर्ता की आपूर्ति दूषित पाई गई है । पीठ ने हालांकि यह भी पूछा कि क्या सभी आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त घी को इस्तेमाल से पहले मिलाया गया था। पीठ ने कहा कि हमारा प्रथम दृष्ट्या मानना है कि जब जांच लंबित थी तो सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए बयान देना उचित नहीं था।
शीर्ष अदालत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रमण्यम स्वामी, इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत, सुदर्शन टीवी चैनल के संपादक सुरेश चव्हाण और एक अन्य व्यक्ति के द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह निर्देश लेने को कहा कि क्या राज्य सरकार द्वारा गठित वर्तमान एसआईटी को ही जारी रहने दिया जाना चाहिए या कोई अन्य एसआईटी गठित की जानी चाहिए। आंध्र प्रदेश सरकार और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने मुख्यमंत्री के 18 सितंबर को दिए गए बयान का बचाव करने का प्रयास किया। उन्होंने
कहा कि चूंकि घी की आपूर्ति मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई थी, इसलिए इसे परीक्षण के लिए आनंद में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की प्रयोगशाला में भेजा गया था। जांच की रिपोर्ट आने के बाद मिलावट संबंधी जानकारी सामने आयी। पीठ ने अधिवक्ता से पूछा कि क्या विवेक आपको इस मामले में दूसरी राय लेने के लिए प्रेरित नहीं करता? स्वामी के वकील ने दलील दी कि वह इस बात से चिंतित हैं कि मुख्यमंत्री ने किस आधार पर स्पष्ट बयान दिया है, क्योंकि इससे देवता के प्रति सम्मान कम हुआ और दुनिया भर के भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं। अधिवक्ता श्री लूथरा और श्री रोहतगी ने स्वामी पर टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाई वी सुब्बा रेड्डी के पक्ष में बोलने का आरोप लगाया। श्री रेड्डी ने घी के स्त्रोत और गुणवत्ता पर विस्तृत फॉरेंसिक रिपोर्ट तथा भक्तों की भावनाओं की रक्षा के लिए इस मुद्दे को प्रचारित करने पर अस्थायी रोक लगाने के रूप में अंतरिम राहत’ की मांग करते हुए अलग से याचिका दायर की है।