अमीरों के लिए अलग कानून, गरीबों के लिए अलग न्याय

सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापन के मामले में ,बाबा रामदेव, बालकृष्ण व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा माफी मांग लेने के बाद ,उनके विरुद्ध चल रही अवमानना कार्यवाही को बंद कर दिया है । पतंजलि ने अपनी दवाइयों का ,भ्रामक विज्ञापन कर, जो कमाई की , उन दवाओं के अनावश्यक सेवन से, मरीजों पर जो दुष्प्रभाव पड़ा, उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है ।
आर्थिक अपराध में फंसने के बाद भी धन्ना सेठ दोषियों पर, ठोस कार्यवाही कम ही होती है ।
दुष्कर्म के दोषी ,कथावाचक आसाराम बापू को भी इलाज कराने हेतु 7 दिनों की जमानत मिल गई है , इससे संत जी के शिष्यों में उत्साह का माहौल है ।
साध्वी दुष्कर्म व हत्या के मामले में दोषी , डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह को , सातवीं बार 21 दिन का पैरोल मिल गया है । इन्हें 17 जून 2022 को 30 दिन का पैरोल मिला था । उसके बाद वह बीते वर्ष 15 अक्टूबर को दूसरी बार , 21 जनवरी को तीसरी बार,  30 मार्च को चौथी बार, 20 अगस्त को पांचवीं बार और 13 दिसंबर को छठी बार पैरोल पर बाहर आए हैं ।
दो वर्ष में सात बार पैरोल पर छूटने का यह ऐसा रिकॉर्ड है ,जिसे हर सजायाफ्ता तोड़ना चाहेगा ।
ऐसी सजा का क्या फायदा ,जिसमे कैदी को मनमाफिक पेरोल मिलती रहे ।
कांग्रेस पार्टी , राम रहीम सिंह और आसाराम के इस पेरोल को हरियाणा में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रही है ।
कहा जाता है कि कानून की दृष्टि में सब बराबर होते हैं , लेकिन यह सबसे बड़ा झूठा है । साधनहीन गरीबों और सुविधा संपन्न अमीरों के कानून में जमीन आसमान का अंतर होता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *