नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू भी उतरे वक्फबोर्ड के समर्थन में। बीजेपी हो गई अकेली ?

वक्फ बोर्ड बिल संशोधन का मामला जब से सुर्खियों में आया है, तब से वक्फ बोर्ड से जुड़े कई नए-नए विवाद सामने आ रहे हैं. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने गुरुवार (22 अगस्त) को दावा किया कि मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की है. जिसमें दोनों नेताओं ने यकीन दिलाया कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे.

दरअसल, बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा हैं. इस बीच मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी का कहना है कि केंद्र को यह विधेयक वापस लेना चाहिए. रहमानी ने आगे कहा कि अगर यह विधेयक संसद में पारित करने के लिए पेश किया गया तो इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा. साथ ही कानून के दायरे में रहते हुए हर लड़ाई लड़ी जाएगी.

रहमानी से जब पूछा गया कि क्या जेडीयू और टीडीपी के नेताओं से भी मुलाकात हुई है और उनका क्या रुख है? इस पर मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा, ‘‘हम लोगों की मुलाकातें अलग-अलग विपक्षी दलों के नेताओं से हुई हैं. चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार से भी मुलाकात हुई है और उन्होंने यकीन दिलाया है कि वह इस विधेयक का विरोध करेंगे. इसके अलावा बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात हुई. उन्होंने भी यकीन दिलाया है कि वह इसका विरोध करेंगे

पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रमुख के अनुसार, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वक्फ पर सरकार को हाथ नहीं रखने दिया जाएगा. उनका कहना था कि कई अन्य ‘‘धर्मनिरपेक्ष पार्टियों’’ और एनडीए के सहयोगी दलों ने भी विधेयक का विरोध करने का विश्वास दिलाया है. नीतीश और नायडू से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर रहमानी ने कहा, ‘‘हम इस बारे में विस्तार से नहीं बता सकते. हम उनसे मिल चुके हैं. ये कोई हिंदू मुस्लिम का मसला नहीं है, ये न्याय और अन्याय का मसला है. इसलिए हम चाहते हैं कि बीजेपी के सहयोगियों सहित सभी धर्मनिरपेक्ष दल न्याय और धर्मनिरपेक्षता के मद्देनजर हमारा समर्थन करें.”
मौलाना रहमानी ने कहा कि अगर संसद की संयुक्त समिति मुस्लिम संगठनों को बुलाएगी तो वो उसके समक्ष अपनी बात रखेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मांग यह है कि इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि इस सरकार ने मुस्लिम संगठनों के लिए अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं.”

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